आखिर क्यों कलेक्टर पहुंचे बच्चों के बीच और रखी अपने मन की बात ?

हम जब भी स्कूल में प्रवेश करते है तो ज्ञान के लिये प्रवेश करते हैं और

जब प्रस्थान करते हैं तो सेवा के लिये करते हैं

यही उद्देश्य सभी बच्चे भी सार्थक करेंगे-कलेक्टर कोचर

कलेक्टर कोचर नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में आयोजित

प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में हुये शामिल

दमोह : 01 अप्रैल 2024

        हम जब भी स्कूल में प्रवेश करते हैं तो ज्ञान के लिए प्रवेश करते हैं और जब प्रस्थान करते हैं, तो सेवा के लिए करते हैं, यही उद्देश्य सभी बच्चे भी सार्थक करेंगे। यदि आपके दिन की शुरुआत बच्चों के साथ हो तो उससे खुशनामा बात और कुछ नहीं हो सकती है। आज बहुत अच्छा अवसर है कि शाला में बच्चों का प्रवेश आज प्रारंभ हुआ है, मुझे बड़ी खुशी है कि बच्चों ने पूरे उत्साह, ऊर्जा और उमंग के साथ प्रवेश लेने की शुरुआत की है। इस आशय के विचार कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने आज नगर के शिवाजी स्कूल, ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम पटपरा में मनाये जा रहे प्रवेशोत्सव के दौरान व्यक्त किये। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी एस.के.नेमा, शिक्षक-शिक्षिकायें, छात्र-छात्रायें तथा अभिभावकगण मौजूद थे।

कलेक्टर ने कहा शिक्षा विभाग की तरफ से विद्यार्थियों को स्लेट, पेंसिल, शार्पनर फूल देकर और तिलक नगर उनका अभिनंदन किया गया है, बच्चे बड़ा खुश महसूस कर रहे हैं। हमारी पूरी टीम, टीचर्स, प्रिंसिपल और शिक्षा विभाग इन बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़े, इसके लिए हम लगातार मॉनीटरिंग भी करेंगे।

प्रवेश के दौरान उन्होंने बच्चों से कहा कि यदि आपको अपने जीवन में कुछ बनना है तो सबसे पहले अपनी जिंदगी में लक्ष्य निर्धारित करना पड़ेगा और दूसरा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, कड़ी मेहनत के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है, उस रास्ते में शासन-प्रशासन जहां-जहां मदद कर सकता है, पूरी मदद करेगी। जो बच्चे सिंसियर है जो बच्चे अच्छा पढ़ना चाहते हैं और वह किसी भी फील्ड में आगे बढ़ना चाहते हो, ऐसा जरूरी नहीं है कि हर बच्चा कलेक्टर ही बने, वह किसी भी फील्ड में आगे बढ़ना चाहता है तो हम पूरी मदद करने के लिए तत्पर है।

उन्होंने अपनी यादों को ताजा करते हुये कहा मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि मैं भी सरकारी स्कूल और सरकारी कॉलेज में पढ़ा हूं, खरगोन में मैं रहता हूं और खरगोन में ही मेरा पूरा बचपन बीता है। वहां हम कैसे रिक्शे से स्कूल जाते थे, उस समय स्कूल 01 जुलाई से प्रारंभ होते थे, बहुत आतुरता रहती थी, स्कूल जाने की, उस समय में पैरंट-टीचर मीटिंग घर पर होती थी, टीचर पेरेंट्स से मिलने घर पर आते थे और बोलते थे कि आपका लड़का बहुत परेशान करता है, छुट्टी के दिन स्कूल आने की जिद करता है, इसको समझाइए। यह सब बड़ी मीठी यादें हैं मुझे बहुत गर्व है कि उन टीचर्स की बदौलत ही आज मैं यहां पर खड़ा हूं, उनका आशीर्वाद मेरे ऊपर है और जब भी मैं खरगोन जाता हूं तो मैं कोशिश करता हूं की मैं उनसे जरूर मिलूं।


कलेक्टर ने मॉ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जलित कर प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने बच्चों को पुस्तकों, स्लेट, पेंसल, चाकलेट आदि का वितरण किया तथा बच्चों से संवाद भी किया। उन्होंने बच्चों के साथ आये माता-पिता से भी चर्चा कर बच्चों को स्कूल प्रतिदिन भेजने की बात कही।

कलेक्टर ने शिक्षक-शिक्षकों से भी चर्चा की और कार्यक्रम के लिये धन्यवाद दिया।

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