दमोह :
आज जब हम (डॉ विशाल शुक्ला, और डॉ आशुतोष गुप्ता)राउंड लेने पहुँचे, तो कोविड केअर सेंटर (पॉलीटेकनिक )दमोह में कोरोना पॉजिटिव मरीजों ने हमारा स्वागत ज़ोरदार तालियों से किया,त्योहार का माहौल बनाया,हमें राखियां बांधी…बोले- सिर्फ बहिन ही क्यों… भाई भी भाई को राखी बांध सकता है, एक बुजुर्ग मरीज ने मुझे जब राखी बांधी,तब मेरी आँखों मे आंसू थे,या पीपीई के कारण माथे से टपकती पसीने की बूंदे ,पता ही नही चला।
उन्होंने इस त्योहार के माहौल में खुद को पहली बार इस सिचुएशन में पाया, दोनों ही पक्ष एक दूसरे का मनोबल बढ़ा रहे थे उनमें से कुछ को हमारे पीपीई के अंदर होने वाली घुटन का शायद अंदाज़ा था,सो उन्होंने कार्यक्रम बिल्कुल तय समय मे निपटा लिया।
फर्क कुछ यूं था कि उन्होंने हमारी कलाइयों पर राखी बांधी,जिन पर ग्लव्स चढ़े हुए थे,और हमारे पास शगुन देने को उन्हें सिर्फ दवाइयां थी।दुख ये भी था,कि एक परिवार के 2 सदस्य वहां थे,जिन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने घर के मुखिया को कोरोना में खो दिया,उनके लिये हमने 2 मिनिट का मौन भी रखा, फिर किसी ने नोटिस किया कि पूजा की थाली की जगह,हमारी स्टील ट्रे में bp इंस्ट्रूमेंट,पल्सऑक्सीमेटर, दवाएं,ग्लूकोमीटर वगैरह थे,और सब खिल खिलाकर हंस पड़े। हमने भी उन्हें बीमार न पड़ने देने का वचन दे ही दिया।